आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी के जिस व्रत से पापों को अंकुश लग जाए तो उस व्रत को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है।
इस एकादशी में भगवान पद्मनाभ का पूजन और अर्चना की जाती है, जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
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पापांकुशा एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है। इस व्रत के करने से अपने साथ-साथ अपने परिजनों को भी लाभ मिलता है। इस व्रत से ना सिर्फ मन शुद्ध होता है बल्कि अश्वमेघ और सूर्य यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। पाप रूपी हाथ को व्रत के पुण्य रूप अंकुश से बांधने के कारण इस व्रत का नाम पापांकुशा एकादशी पड़ा। इस व्रत में मौन रहकर भगवद् स्मरण तथा कीर्तन भजन करना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति से अनजाने में भी पाप हो जाए तो यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
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